बूढ़े ही नहीं अब बच्चे भी गठिया की चपेट में, जानें इसके प्रकार, प्रभाव, लक्षण व उपचार

बूढ़े ही नहीं अब बच्चे भी गठिया की चपेट में, जानें इसके प्रकार, प्रभाव, लक्षण व उपचार

डॉ. राजू वैश्‍य      

पूरी दुनिया में 12 अक्टूबर को वर्ल्ड आर्थराइटिस डे मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्‍य लोगों को जोड़ोंं के दर्द के प्रति जागरूक करना है। आज के समय में जोड़ों में दर्द की समस्या केवल बुजुर्गों में ही नहीं बल्कि युवाओं में भी बढ़ रही है। आर्थराइटिस जोड़ों की आम समस्या है, जिसमें जोड़ घिस जाते हैं। जोड़ों में घिसाव कई तरह से और कई कारणों से हो सकते हैं। उम्र के साथ-साथ जोड़ों का घिसना अंत्यंत सामान्य है और यही कारण है कि अधिक उम्र के लोगों में खास तौर पर 55 से 60 वर्ष के लोगों में यह समस्या बहुत अधिक है। व्यायाम नहीं करने, मोटापा और काम-काज तथा रहन सहन की आधुनिक शैलियों के कारण आजकल कम उम्र के लोग भी अर्थराइटिस का शिकार बन रहे हैं। हालांकि अर्थराइटिस जोड़ों की बीमारी है, लेकिन यह हृदय, फेफड़े, किडनी तथा रक्त नलिकाओं को भी प्रभावित कर सकती है।

अर्थराइटिस के प्रकार:

अब तक करीब सौ तरह की आर्थराइटिस की पहचान की गयी है। इनमें एक अत्यंत सामान्य किस्म की आर्थराइटिस गठिया (रह्मूमेटॉयड अर्थराइटिस) की पहचान की गयी है। यह जोड़ों में घिसाव का एक प्रमुख कारण है। रह्मूमेटॉयड आर्थराइटिस किसी भी उम्र में हो सकती है।

गाउट-

गाउट एक अन्य तरह की आर्थराइटिस है। इसके तहत शरीर में यूरिक एसिड बढ़ जाता है, जिससे जोड़ों के कॉर्टिलेज को नुक्सान पहुँचता है। यूरिक एसिड मांसपेशियों एवं नसों में जमा होकर जोड़ों को जाम कर देते हैं। बाद में यह समस्या आर्थराइटिस का रूप धारण कर लेती है। कच्ची हड्डियों के ख़राब हो जाने, उनमें संक्रमण हो जाने या मवाद बन जाने और दुर्घटनाओं में चोट लग जाने के कारण भी आर्थराइटिस हो सकती है।

जुवेलाइन आर्थराइटिस-

बच्चों में होने वाली आर्थराइटिस को जुवेलाइन आर्थराइटिस कहा जाता है। एक अनुमान के अनुसार, हर एक हज़ार में करीब तीन बच्चे गठिया से प्रभावित हैं। केवल अमेरिका में करीब 2 लाख 85 हज़ार बच्चों में जुवेलाइन आर्थराइटिस है।

एंकलोजिंग आर्थराइटिस-

युवावस्था में होने वाली अर्थराइटिस को एंकलोजिंग आर्थराइटिस कहा जाता है। आर्थराइटिस की समस्या पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक है। एक अनुमान के अनुसार, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में यह बीमारी तीन गुना अधिक है।

आर्थराइटिस के लक्षण:

आर्थराइटिस के लक्षणों में जोड़ों में दर्द, जोड़ों में जकड़न, चाल में बदलाव, सुबह जागने पर जोड़ों में कड़ापन और बुखार प्रमुख हैं।

आर्थराइटिस से बचाव व उपचार:

आर्थराइटिस से बचाव के लिए नियमित व्यायाम करना चाहिए और खान-पान एवं रहन-सहन पर विशेष ध्यान देना चाहिए। आर्थराइटिस होने पर इलाज में देरी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इलाज न कराने पर जोड़ों में अधिक से अधिक समस्या हो सकती है। शरुआत में समुचित खान-पान, व्यायाम एवं फिजियोथेरेपी, योग एवं दवाइयों की मदद से इसे बढ़ने से रोका जा सकता है।

(लेखक दिल्‍ली के जाने माने फीजिशियन और जीवनशैली रोग विशेषज्ञ हैं। ये आलेख उनकी किताब फैमिली हेल्‍थ गाइड से साभार लिया गया है। प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित ये किताब hindibooks.org से मंगवाई जा सकती है) 

इसे भी पढ़ें-

World Mental Health Day 2019: हर साल 8 लाख लोग मानसिक विकार की वजह से करते हैं 'आत्महत्या'

 

                                                                 

Disclaimer: sehatraag.com पर दी गई हर जानकारी सिर्फ पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या के इलाज के लिए कृपया अपने डॉक्टर की सलाह पर ही भरोसा करें। sehatraag.com पर प्रकाशित किसी आलेख के अाधार पर अपना इलाज खुद करने पर किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की ही होगी।